किसी को मेरी
और .............
मुझे !!!!!!!!!!!!!!!
किसी और की तलाश रही
तनहा नही थी मैं .................
महफिल थी आस पास .............
मगर जिंदगी उदास रही !!!!!!!!!!!!
कुछ बूंदों की आस थी !!!!!!!!!!!!!!!!!!!
सुखी धरती की तरह ......
मगर जब बरसे बदरा !!!!!!!!!!!!!!!!!
तो अमृत की प्यास रही .......................
यूँ तो आँखों को पढ़ लेना ही .........
काफी था उस एहसास के लिए ........
लेकिन जब नजरे ही न मिल सकी .............
तो शब्दों की दरकार रही ................
दर भी उसी का था ................दस्तक भी उसी ने दी
मगर जब मैंने खोल दिए!!!!!!!!!!!!दरवाजे सारे
तो हमें पुकारती ..........................
ऐसी कोई आवाज़ न रही ........................................
जिंदगी में प्रेम था मगर
प्रेम में जिंदगी यूँ भी रही ..............!!!!!!!!!..............