Monday, March 22, 2010
तेरे प्यार का अहसास
जब भी मेरे मन की तन्हाई में
तेरे प्यार की महफ़िल सजती है
जिंदगी नए सिरे से सवरती है
ओस की बूंदों सी
सीली रहती मेरी आँखों पर
जब तेरे चेहरे की चमक पड़ती है
कुछ इस तरह बदलता है मौसम
कि कोहरा छंट जाता है तब
और धुप सी खिलने लगती है
मेरे ख्वाबों की बंजर जमीं पर
जब तेरे जज्बातों की खाद पड़ती है
फिर बिन सावन के आती है
मिटटी से सौंधी खुशबू
और पतझड़ में भी
हरी भरी फसल खिलने लगती है
मेरी ख्वहि९शोन को
जब छूता है तेरा अहसास
रूह तलक भीग जाती हूँ मैं
तेरे प्यार की बारिश में
जैसे सूनी पड़ी किसी बगिया को
माली ने महका दिया हो
पंछी जिन पेड़ो का रास्ता भूल गए थे
उन पेड़ो को जैसे आज किसी ने चेह्का दिया हो
ये फ़साने नही है मेरी मोहब्बत के महज
ये मेरी आँखों में महफूज
अमानत है उन अश्को की
जो कभी तुझसे बिछड़कर बहे
कभी तेरे न मिलने से छलके
तेरे रस्ते और मंजिलों का
इल्म नही है मुझे
इन्तहा है तो इस बात की
कि आज भी मेरे दिल की
हर गली जाती है
तेरे प्यार के घर से गुजर के
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