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Friday, July 3, 2009

प्रेम में जिंदगी यूँ भी रही

किसी को मेरी

और .............

मुझे !!!!!!!!!!!!!!!

किसी और की तलाश रही

तनहा नही थी मैं .................

महफिल थी आस पास .............

मगर जिंदगी उदास रही !!!!!!!!!!!!

कुछ बूंदों की आस थी !!!!!!!!!!!!!!!!!!!

सुखी धरती की तरह ......

मगर जब बरसे बदरा !!!!!!!!!!!!!!!!!

तो अमृत की प्यास रही .......................

यूँ तो आँखों को पढ़ लेना ही .........

काफी था उस एहसास के लिए ........

लेकिन जब नजरे ही न मिल सकी .............

तो शब्दों की दरकार रही ................

दर भी उसी का था ................दस्तक भी उसी ने दी

मगर जब मैंने खोल दिए!!!!!!!!!!!!दरवाजे सारे

तो हमें पुकारती ..........................

ऐसी कोई आवाज़ न रही ........................................

जिंदगी में प्रेम था मगर

प्रेम में जिंदगी यूँ भी रही ..............!!!!!!!!!..............

15 comments:

Anonymous said...

कुछ बूंदों की आस थी सुखी धरती की तरहमगर जब बरसे बदरा तो अमृत की प्यास रही
Awesome...every ward is meaningful...actually I loved each n every line...

के सी said...

खूबसूरत लगी पहली नज़र में शेष थोड़े समय बाद दोबारा पढ़ के लिखता हूँ .

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

स्वागत है।
भावपूर्ण रचना।
punctuation marks की भरमार कविता की गरिमा भंग कर रही है। आगे जैसा आप समझें।

Shashi Kant Singh said...

bahut sundar rachana hai aapki
shubhkamnaoo k sath swagat hai..

प्रकाश गोविंद said...

आह .. क्या बात है ..
पढ़ कर ऐसा लगा जैसे सुबह की
ताजा हवा में सांस ली हो .
कुछ ही लाइने बहा ले गयीं पूरी सोच को अपने एहसास में...........

बेहद खूबसूरत रचना

हार्दिक शुभ कामनाएं


कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !

तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स

आज की आवाज

shama said...

Duaa kartee hoon, tanhaaee raunaq me tabdeel ho..aur phir aapke aas paas bhee naa phatke...sada raunaq saath ho...!

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://kavitasbyshama.blogspot.com

http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

Anonymous said...

भावुक भावनाएं...
असर तो है...

amar barwal 'Pathik' said...

chanchal komal man ki vyatha ko sunder shabad dene ke liye aap badhaayi ke paatr hain.....

शशांक शुक्ला said...

चिर चिंतन से निकली है कविता बहुत सुंदर

श्यामल सुमन said...

बहुत खूब। कहते हैं कि-

खूशबू तेरे बदन की मेरे साथ साथ है।
कह दो जरा हवा से तन्हा नहीं हूँ मैं।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

wah!narayan narayan

RAJIV MAHESHWARI said...

अच्छा है अंदाज़े-बयाँ।
सुस्वागतम्।

Anonymous said...

सुन्‍दर। शुभकामनाएँ।

Dev said...

Bahut sundar rachana..really its awesome...

Regards..
DevSangeet

राजेंद्र माहेश्वरी said...

हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |