Blogvani.com

Monday, March 22, 2010

तेरे प्यार का अहसास




जब भी मेरे मन की तन्हाई में


तेरे प्यार की महफ़िल सजती है


जिंदगी नए सिरे से सवरती है


ओस की बूंदों सी


सीली रहती मेरी आँखों पर


जब तेरे चेहरे की चमक पड़ती है


कुछ इस तरह बदलता है मौसम


कि कोहरा छंट जाता है तब


और धुप सी खिलने लगती है


मेरे ख्वाबों की बंजर जमीं पर


जब तेरे जज्बातों की खाद पड़ती है


फिर बिन सावन के आती है


मिटटी से सौंधी खुशबू


और पतझड़ में भी


हरी भरी फसल खिलने लगती है


मेरी ख्वहि९शोन को


जब छूता है तेरा अहसास


रूह तलक भीग जाती हूँ मैं


तेरे प्यार की बारिश में


जैसे सूनी पड़ी किसी बगिया को


माली ने महका दिया हो


पंछी जिन पेड़ो का रास्ता भूल गए थे


उन पेड़ो को जैसे आज किसी ने चेह्का दिया हो


ये फ़साने नही है मेरी मोहब्बत के महज


ये मेरी आँखों में महफूज


अमानत है उन अश्को की


जो कभी तुझसे बिछड़कर बहे


कभी तेरे न मिलने से छलके


तेरे रस्ते और मंजिलों का


इल्म नही है मुझे


इन्तहा है तो इस बात की


कि आज भी मेरे दिल की


हर गली जाती है


तेरे प्यार के घर से गुजर के


3 comments:

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

rachna par shubhkaamnaye

Shekhar Kumawat said...

bahut achi rachna lagi hame aap ki

badhai aap ko

SHEKHAR KUMAWAT

http://kavyawani.blogspot.com/

kshama said...

जब भी मेरे मन की तन्हाई में


तेरे प्यार की महफ़िल सजती है


जिंदगी नए सिरे से सवरती है ..
Wah, Himani wah!