मेरा यूँ ही कह जाना बहुत कुछ
और वो तेरा चुप रह जाना
मेरे सवालों का वो न थमने वाला सिलसिला
और तेरा जवाब में यूँ मुस्कुरा जाना
मेरा ख्यालों में सोचना तुझे
और तेरा ख्वाबों में आ जाना
मेरी ढेरों शिकायतें तुझसे
और तेरा मेरे हर शिकवे को
नाजो से उठाना
ये तेरी हर अदा
अदा भी है
और सजा भी
Thursday, May 6, 2010
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6 comments:
आपको अदा दिखाएँ ये मेरी हैसियत नहीं
आपको सजा दें ये मेरे बस में नहीं
ये तेरी हर अदा
अदा भी है
और सजा भी
..waah! ada kab saja ban jay kuch nahi kaha jaa sakta..
bahut badiya!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आपके.
मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
ये तेरी हर अदा
अदा भी है
और सजा भी
good good good
well written ... congrats
behtareen likhati hain ap ...badhai.
बहुत खूब कहा, कई बार किसी की अदा सजा बन जाती है जब ढेरों सवाल हो और सामने वाला खामोश रहे...बधाई.
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