यूँ ही नही हूँ मैं तन्हाईओं से खफा
और महफ़िल से रुसवा
ये वजह है..
तेरा एहसास
जो
मेरी रूह से रुखसत होता नही
और उस पर
तेरे प्रेम का अक्स
जो आकर कहता है मुझसे
कि ..
बिता हुआ लम्हा हूँ मैं
अभी तलक तो न कुंदन हुए न राख हुए हम अपनी ही आग में हर रोज जलकर देखते है
1 comment:
bhut khub himaani ji
saadar
praveen pathik
9971969084
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